ये है मुख्य बिंदु (Headlines)
- गंगा घाटी से लेकर यमुना घाटी तक सावन मेले की धूम
- भटवाड़ी क्षेत्र कि जनता सोमेश्वर महाराज की करते है पूजा
- लोक संस्कृति को लेकर गंगा घाटी की जनता में काफी उत्साह
गंगा घाटी से लेकर यमुना घाटी तक सावन मेले की धूम
सावन का उल्लास अगर देखना है। तो चलें आएं उत्तरकाशी जिले में.यहां गंगा घाटी से लेकर यमुना घाटी तक सावन में मेलों की धूम रहती हैं।यहां मेलों में पारंपरिक संस्कृति अभी भी मौजूद है।यहां ग्रामीण मेलों में सिर्फ देव पूजन ही नहीं करते, बल्कि लोक गीत, लोक नृत्य, पारंपरिक परिधान पहनते हैं। और पारंपरिक पकवानों का आनंद भी लेते हैं।उत्तरकाशी जनपद लोक संस्कृति के लिहाज से बेहद ही संपन्न है। यहां के ग्रामीण अभी भी अपनी लोक संस्कृति के संरक्षण में जुटे हुए हैं।
भटवाड़ी क्षेत्र कि जनता सोमेश्वर महाराज की करते है।पूजा
यहां की लोक संस्कृति सावन के मेलों में साख दिखती है। इन दिनों गंगा घाटी के गांवों में फुल्यार मेले का आयोजन हो रहा है। इस मेले में ग्रामीण बुग्याली क्षेत्र से फूल तोड़कर लाते हैं। तथा देवता को चढ़ाते हैं। यह मेला हर गांव में अलग-अलग दिन तय होता है। पाही आदि गांवों में यह मेला संपन्न हो चुका है।, जबकि भटवाड़ी क्षेत्र के अन्य गांवों में चल रहा है।भटवाड़ी क्षेत्र कि जनता सोमेश्वर महाराज को पूजते हैं।
लोक संस्कृति को लेकर गंगा घाटी की जनता में काफी,उत्साह
इस क्षेत्र के गांवों के इष्ट देव हैं। सोमेश्वर जिस गांव में भी देवता पहुंचते हैं। वहां लोक मेले का आयोजन होता है। वहीं कई गांवों के इष्ट देवता भी आते हैं। भटवाड़ी ब्लाक के पाही गाँव निवासी विनोद बुटोला कहते हैं। कि लोक संस्कृति को लेकर गंगा घाटी काफी खुश है। सावन के मेले यहां के गांव-गांव में होते हैं।जो वर्षों से होते चले आ रहे हैं। मेले के दौरान घर-घर में ग्रामीण स्थानीय पकवान बनाते हैं। और मेहमानों का स्वागत करते हैं। हर वर्ष सावन मास में पाही गाँव में यह मेला होता हैं।
रिपोर्टर -दीपक नौटियाल (उत्तरकाशी)