गुरुवार को वन विभाग द्वारा 23 खनन वाली नदियों और उनके आसपास की वन भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने का काम शुरू होगा। इसके लिए एक महीने से इन नदियों की सर्वे की गई थी।
धार्मिक अतिक्रमण के बाद, वन विभाग अब दूसरे चरण के तहत “वन भूमि अतिक्रमण हटाओ” महाअभियान चलाने की योजना बना रहा है। इसमें प्रदेश की 23 खनन योग्य नदियों और उनके आसपास की वन भूमि से हटाए जाने का प्रयास किया जाएगा। इसमें बड़ी संख्या में अस्थायी तौर पर रह रहे बाहरी मजदूरों को भी हटाया जाएगा।
वन भूमि अतिक्रमण हटाओ महाअभियान के नोडल अधिकारी डाॅ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि प्रदेश में जहां 23 नदियों में खनन होता है, वहां पिछले कुछ वर्षों से हर साल चार-पांच लाख मजदूर आते हैं। इसमें से 30-40% लोग वन भूमि और नदियों के आसपास ही बस जाते हैं। इसके कारण नदियों के आसपास वन भूमि पर अतिक्रमण की समस्या उत्पन्न हो गई है। इसके लिए एक महीने से इन नदियों की सर्वे करने का काम चल रहा था। इसमें काफी अतिक्रमण चिह्नित हुआ है, जिन्हें हटाने के लिए सभी जिला वन अधिकारियों और वन पार्क निदेशकों को निर्देश दिए गए हैं। यहां अतिक्रमण करने वाले लोगों को नोटिस भी दिए जाएंगे।
ये हैं प्रमुख चिह्नित नदियां और स्थानें:
गौला, शारदा, नंधौर, दाबका, कोसी, गंगा, खो, सुखरो, शीतला, रिस्पना, चोरखाला नाला, स्वर्णीना नदी, आसन के बरसाती नाले, जाखन, मालदेवता, आसन, मालन, कालसी, यमुना, टौंस, सहस्रधारा, गंगा की सहायक नदियां।
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