उत्तराखंड 13 July 2025: देवभूमि उत्तराखंड में धार्मिक आस्था की आड़ में आम लोगों को ठगने और उनकी भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले कथित ‘कालनेमि’ साधु-संतों और पीर-फकीरों के खिलाफ ‘ऑपरेशन कालनेमि’ लगातार जारी है। इस अभियान के तहत, पुलिस ने अब तक सात आपराधिक प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों सहित 66 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। कई अन्य संदिग्धों की पहचान कर उनकी तलाश की जा रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शुरू हुए इस अभियान का उद्देश्य ऐसे लोगों पर नकेल कसना है जो साधु-संतों और पीर-फकीरों का भेष धारण कर लोगों से ठगी कर रहे हैं। इन गतिविधियों में महिलाओं का मानसिक और शारीरिक शोषण भी शामिल है, जिससे न केवल धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द और सनातन परंपरा की छवि को भी गंभीर नुकसान पहुँच रहा है।
ऊधम सिंह नगर के एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने रुद्रपुर और काशीपुर सर्किल में दो निरीक्षकों को तैनात कर इस कार्रवाई को गति देने के निर्देश दिए थे। इसके बाद, जिले भर में पुलिस ने साधु-संतों के भेष में छिपे ऐसे संदिग्धों की धरपकड़ शुरू की।
एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने बताया कि पुलिस टीमों ने जसपुर, काशीपुर, बाजपुर, दिनेशपुर, गदरपुर, रुद्रपुर, किच्छा, सितारगंज और खटीमा सहित विभिन्न क्षेत्रों में 66 संदिग्ध पीर-फकीर और साधु-संतों को हिरासत में लिया है।
हिरासत में लिए गए लोगों में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत और बिहार के गया से संबंधित सात ऐसे व्यक्ति भी शामिल हैं जिनके विरुद्ध पहले से ही आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें टंडोला (पूरनपुर, पीलीभीत) निवासी चुन्नू मियां, ट्रांजिट कैंप (गया, बिहार) निवासी नाजिम, झनकइया (खटीमा) निवासी अफजल, जमुनिया खास माधव टांडा (पीलीभीत) निवासी परवेज, खटीमा और पीलीभीत निवासी इम्तियाज अली, गजरौला (पीलीभीत) निवासी तारिक अहमद, और जमुनिया बीसलपुर (पीलीभीत) निवासी मोहम्मद आसिफ शामिल हैं। इन सभी से गहन पूछताछ की जा रही है।
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