UK Panchayat Chunav 2025

दो जगह वोटर लिस्‍ट नाम वाले अब नहीं लड़ पाएंगे, पंचायत चुनाव

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में राज्य निर्वाचन आयोग के उन दिशा-निर्देशों पर रोक लगा दी है, जिनके तहत मतदाताओं और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को दो अलग-अलग मतदाता सूचियों (नगर निकाय और ग्राम पंचायत) में नाम होने पर भी मतदान करने और चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशियों का चुनाव लड़ना पंचायत राज अधिनियम के विरुद्ध है।

क्या था मामला?

राज्य निर्वाचन आयोग ने 6 जुलाई को एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें ऐसे व्यक्तियों को अनुमति दी गई थी, जिनके नाम नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों की मतदाता सूचियों में शामिल थे। इससे पहले, 9 2019 में भी जिला निर्वाचन अधिकारियों को इसी तरह के दिशा-निर्देश जारी किए गए थे।

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इस मामले में गढ़वाल के शक्ति सिंह बर्त्वाल ने शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया कि राज्य के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ रहे कई प्रत्याशियों के नाम दो जगह (नगर निकाय व त्रिस्तरीय पंचायत की मतदाता सूची) हैं। इस स्थिति के कारण रिटर्निंग अधिकारियों ने अलग-अलग निर्णय दिए, जिससे कुछ लोगों के नामांकन रद्द हुए तो कुछ को स्वीकृति मिल गई।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि देश में किसी भी राज्य में दो अलग-अलग मतदाता सूचियों में नाम होना आपराधिक श्रेणी में आता है। ऐसे में उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग ऐसे लोगों के निर्वाचन को किस आधार पर स्वीकृति दे रहा है, यह एक गंभीर सवाल है।

याचिकाकर्ता की शिकायत

शक्ति सिंह बर्त्वाल ने 7 और 8 जुलाई को राज्य निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर उत्तराखंड में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नगर निकाय चुनाव की मतदाता सूची में शामिल मतदाताओं को मतदान और नामांकन से रोकने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था। आयोग के जवाब से असंतुष्ट होने और पंचायती राज अधिनियम की धारा 9 की उपधारा 6 और 7 का पालन न करने की शिकायत पर उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

कोर्ट का मौजूदा चुनावों पर हस्तक्षेप नहीं, पर भविष्य पर असर

अदालत ने पंचायत चुनाव की नामांकन प्रक्रिया पहले ही पूरी हो जाने के कारण वर्तमान चुनाव में सीधे हस्तक्षेप नहीं किया है। इसका मतलब है कि चल रहे चुनावों पर इस आदेश का तत्काल असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट के अनुसार, कोर्ट का यह फैसला भविष्य के चुनावों पर निश्चित रूप से पड़ेगा। उन्होंने बताया कि आदेश की प्रति मिलने के बाद आयोग विधिक पहलुओं पर विचार करेगा।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी के अनुसार, कोर्ट के आदेश के बाद दो मतदाता सूची में नाम वाले प्रत्याशी अब चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो गए हैं। यदि राज्य निर्वाचन आयोग इस आदेश को गंभीरता से नहीं लेता है, तो यह अवमानना के दायरे में आ सकता है।

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