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उत्तराखंड में होमस्टे स्कीम अब सिर्फ स्थायी निवासियों तक सीमित

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने पर्यटन क्षेत्र को लेकर एक अहम फैसला लिया है। राज्य पर्यटन विभाग ने प्रस्ताव रखा है कि अब होमस्टे स्कीम का लाभ केवल स्थायी निवासियों को ही मिलेगा

इस कदम के पीछे मुख्य उद्देश्य है कि पर्यटन से होने वाली आय स्थानीय परिवारों तक सीधे पहुँचे और बाहरी लोग इस स्कीम का व्यावसायिक फायदा न उठा सकें। सरकार का कहना है कि यह नीति स्थानीय संस्कृति और परंपरा को सुरक्षित रखने में मददगार होगी

क्या बदलेगा?

  • जो लोग राज्य के स्थायी निवासी नहीं हैं, उन्हें अब Bed & Breakfast (B&B) श्रेणी में पंजीकरण कराना होगा।
  • बिना पंजीकरण के संचालन करने पर ₹1 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • स्थानीय लोगों को इस नियम से सीधे आर्थिक लाभ की उम्मीद है।

क्यों ज़रूरी माना जा रहा है?

उत्तराखंड में बीते वर्षों में होमस्टे का चलन तेजी से बढ़ा है। कई बाहरी निवेशक इस स्कीम का उपयोग करके व्यावसायिक तरीके से होमस्टे चला रहे थे। पर्यटन विभाग का मानना है कि इससे असली ग्रामीण आतिथ्य और स्थानीय संस्कृति पीछे छूट रही थी।
नए नियम से न केवल ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि पहाड़ के युवाओं और परिवारों को रोज़गार के नए अवसर भी मिलेंगे।

सरकार का यह कदम राज्य की आर्थिक स्वावलंबन और सांस्कृतिक पहचान दोनों को मज़बूती देने वाला माना जा रहा है।

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