देहरादून | 22 जून 2025: उत्तराखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) और राज्य के वन प्रमुख धानंजय मोहन ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली है। उनका कार्यकाल आगामी अगस्त तक था, लेकिन उन्होंने अचानक सेवा से हटने का निर्णय लिया, जिसे सरकार ने 24 घंटे के भीतर स्वीकार कर लिया।

क्या है मामला?
1988 बैच के IFS अधिकारी धानंजय मोहन ने निजी कारणों का हवाला देते हुए 21 जून को VRS मांगी थी। उन्हें अखिल भारतीय सेवा नियमावली, 1958 की धारा 16(2) के तहत यह सेवानिवृत्ति दी गई है। सरकार ने इसे “निजी कारणों से लिया गया निर्णय” बताया है।
उनके स्थान पर वर्तमान में CAMPA के सीईओ और PCCF रैंक के अधिकारी समीर सिन्हा को वन प्रमुख की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है।
क्यों है यह अहम खबर?
- धानंजय मोहन ने उत्तराखंड के वन विभाग में नीति-निर्माण, संरक्षण कार्यों, और वन क्षेत्र विकास में अहम भूमिका निभाई थी।
- उनकी अचानक विदाई से विभागीय योजनाओं और संचालन में तत्काल रणनीतिक बदलाव की संभावना है।
- CAMPA, वनीकरण, वनों की कटान नियंत्रण, और वाइल्डलाइफ प्रोजेक्ट्स जैसी योजनाओं में नई प्राथमिकताएं तय होंगी।
समीर सिन्हा के सामने क्या चुनौतियाँ?
- CAMPA और वन विभाग — दोनों की जिम्मेदारी एक साथ निभाना।
- मानसून की शुरुआत में जंगल की आग से सुरक्षा, वन कटाव रोकथाम, और वन क्षेत्रों की निगरानी।
- विभागीय कर्मचारियों और क्षेत्रीय संरक्षकों के साथ तालमेल बनाना।
निष्कर्ष
उत्तराखंड वन विभाग की यह आंतरिक फेरबदल संकेत देती है कि निकट भविष्य में राज्य की वन नीतियों और संरक्षण रणनीतियों में बदलाव संभव हैं। समीर सिन्हा जैसे वरिष्ठ अधिकारी से उम्मीद की जा रही है कि वे इस संक्रमण काल में स्थिरता बनाए रखते हुए विभाग को नई दिशा देंगे।
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