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सपनों का सौदा: उत्तराखंड के लाखों युवाओं का भविष्य दांव पर, सड़कों पर उतरे इंसाफ़ के लिए

देहरादून। उत्तराखंड में एक बार फिर सरकारी भर्ती परीक्षा में पेपर लीक होने के कथित मामले ने राज्य की राजनीति और सामाजिक माहौल को गर्मा दिया है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा आयोजित एक हालिया परीक्षा में धांधली के आरोप लगने के बाद हजारों की संख्या में बेरोज़गार युवा सड़कों पर उतर आए हैं और CBI जाँच की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

मुख्य घटनाक्रम और विरोध प्रदर्शन

  • विरोध का केंद्र: राजधानी देहरादून का परेड ग्राउंड युवाओं के विरोध का मुख्य केंद्र बना हुआ है, हालांकि यह आंदोलन अब हल्द्वानी, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ जैसे दूर-दराज के जिलों तक भी फैल गया है। कई छात्र संगठनों ने सरकार पर परीक्षा माफ़िया पर लगाम लगाने में विफल रहने का आरोप लगाया है।
  • हड़ताल और अल्टीमेटम: प्रदर्शनकारी, विशेष रूप से उत्तराखंड बेरोज़गार संघ के नेतृत्व में, परीक्षा रद्द करने और पारदर्शी जाँच की मांग कर रहे हैं। हल्द्वानी में कुछ छात्रों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल भी शुरू कर दी है।
  • कारण: आरोप है कि रविवार को आयोजित परीक्षा के प्रश्नपत्र के कुछ अंश सोशल मीडिया पर प्रसारित हुए थे। यह आरोप पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखंड में सामने आए कई पेपर लीक घोटालों की श्रृंखला में नया है, जिसने युवाओं के भविष्य पर गहरा असर डाला है।

प्रशासन की कार्रवाई

आलोचना का सामना कर रही धामी सरकार ने तुरंत कार्रवाई का आश्वासन दिया है:

  • गिरफ्तारियां: पुलिस ने इस मामले में कुछ प्रमुख संदिग्धों, जिनमें मुख्य आरोपी खालिद मलिक शामिल है, को गिरफ्तार किया है।
  • प्रशासनिक निलंबन: परीक्षा केंद्र पर ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में एक सहायक प्रोफेसर, सेक्टर मजिस्ट्रेट और दो पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
  • बुलडोजर कार्रवाई: प्रशासन ने हरिद्वार में मुख्य आरोपी खालिद मलिक की कुछ “अवैध अतिक्रमण” वाली संपत्तियों पर बुलडोजर भी चलाया है।

मुख्यमंत्री और प्रदर्शनकारियों का रुख

  • मुख्यमंत्री का बयान: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने विरोधियों पर पलटवार करते हुए इसे “नकल जिहाद” करार दिया और कहा कि उनकी सरकार एंटी-चीटिंग कानून, 2023 के तहत सख्त कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि “परीक्षा माफ़िया को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।”
  • प्रदर्शनकारियों की मांग: आंदोलनकारी नेताओं ने मुख्यमंत्री के “नकल जिहाद” वाले बयान को भटकाने वाला बताया है। उनका कहना है कि केवल कुछ लोगों को गिरफ्तार करने से समस्या हल नहीं होगी। उनकी मुख्य मांगें हैं:
    1. पेपर लीक की पूरी जाँच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपी जाए।
    2. UKSSSC के वरिष्ठ अधिकारियों को तुरंत पद से हटाया जाए।
    3. भर्ती परीक्षा को रद्द किया जाए और नए सिरे से पारदर्शी तरीके से आयोजित किया जाए।

युवा नेताओं ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, तब तक उनका यह शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहेगा। यह विवाद उत्तराखंड के लाखों बेरोज़गार युवाओं के बीच भविष्य की चिंता और व्यवस्था के प्रति अविश्वास को गहरा कर रहा है।

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