UK Panchayat Chunav 2025

उत्तराखंड ग्राम पंचायत चुनाव 2025: प्रमुख तिथियाँ और जानकारी

ग्राम पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है। राज्य भर में दो चरणों में ये चुनाव 10 जुलाई और 15 जुलाई को कराए जाएंगे

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देहरादून | 22 जून 2025: उत्तराखंड में लोकतंत्र के सबसे बुनियादी और महत्वपूर्ण चरण — ग्राम पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है। राज्य भर में दो चरणों में ये चुनाव 10 जुलाई और 15 जुलाई को कराए जाएंगे, जबकि नतीजे 19 जुलाई को घोषित किए जाएंगे।

राज्य निर्वाचन आयोग ने बताया कि इस चुनाव में 47.7 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। कुल 66,418 पदों के लिए मतदान होगा, जिसमें ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य और ग्राम पंचायत सदस्य जैसे प्रमुख पद शामिल हैं।


चुनाव की प्रमुख बातें:

  • चरण 1: 10 जुलाई 2025
  • चरण 2: 15 जुलाई 2025
  • परिणाम तिथि: 19 जुलाई 2025
  • कुल मतदाता: 47.7 लाख
  • कुल पद: 66,418
  • प्रमुख जिलों में अधिक भागीदारी: देहरादून, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, पौड़ी और अल्मोड़ा

लोकतंत्र का मूल आधार

ग्राम पंचायत चुनावों को अक्सर “लोकतंत्र की जड़ें” कहा जाता है। यह वही मंच है जहां ग्रामीण जनता अपने सीधे प्रतिनिधियों का चयन करती है — जो जल, जंगल, ज़मीन, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं को बेहतर बनाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पंचायत चुनाव ही वे जगहें हैं जहां नवप्रवेशी युवा नेता, महिलाएं, और समाजसेवी अपने क्षेत्र के लिए परिवर्तन की दिशा तय कर सकते हैं।


तैयारियां और पारदर्शिता

राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं:

  • रंगबद्ध मतपत्र प्रणाली (Colour-coded ballots)
  • मतदान केंद्रों पर CCTV निगरानी
  • संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती
  • मतदान कर्मियों को डिजिटल प्रशिक्षण

सामाजिक जागरूकता ज़रूरी

चुनाव केवल मतपत्र तक सीमित नहीं रहते। यह समाज को सशक्त और जागरूक बनाने का माध्यम हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न सामाजिक संगठनों और स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि अधिकतम मतदान हो और लोग अपने प्रतिनिधियों का सही चुनाव कर सकें।


निष्कर्ष

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव न केवल राजनीतिक प्रक्रिया हैं, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन, सशक्तिकरण, और स्थानीय नेतृत्व के विकास की सबसे मजबूत नींव रखते हैं। यह वह अवसर है जब गांव का आम नागरिक भी प्रदेश की दिशा तय करने में भूमिका निभाता है।

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